Saturday, December 5, 2020
Thursday, November 19, 2020
समान नागरिकता कानून या यूनिफॉर्म सिविल कोड है समय की मांग
यूनिफॉर्म सिविल कोड है समय की मांग
भारत विश्व का सबसे बड़ा गणराज्य है। यहां अनेकों धर्मो के लोग निवास करते हैं। भारत में सबको अधिकार है कि वह अपनी पसंद के अनुसार किसी भी धर्म या संप्रदाय को अपनाकर उसके नियमों का अनुसरण कर सकता है।
Wednesday, November 18, 2020
सोशल मीडिया : बतंगड़ का अड्डा और समय की बर्बादी
एक वह समय था, जब परिवार के लोग एक दूसरे के साथ सार्थक संवाद, हंसी- मजाक, तारीफ़, आदि किया करते थे और अब आज के समय पर नज़र डाले तो ऐसा कोई घर नहीं जहां लोग आपको परिवार में या पड़ोसी से ही बातचीत करते मिले।
पहले जब इंटरनेट तकनीक नहीं थी, तब पत्र या फोन से बाते हुआ करती थीं, और अब मोबाइल फोन कॉल, या वीडियो कॉल या फिर वॉयस मेसेज, टेक्स्ट आदि से होती हैं।
अब इस लेख को ही ले लीजिए, शायद यह भी आप सोशल मीडिया नेटवर्क से ही पढ़े।
सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मोबाइल एप्लिकेशन ने अभिव्यक्ति की आज़ादी तो दी ही है और इसके साथ साथ विचार व संदेश के आदान प्रदान को सुलभ, सरल भी बनाया है। लोगों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया है परन्तु इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव भी हैं, जो युवाओं के साथ साथ बुद्धिजीवीवर्ग और बुजुर्गों में भी देखने को मिल रहा है।
स्टेटिस्टिका , 2019(एक प्रसिद्ध संगठन जो डाटा संवर्धन करता है) की रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस और नाइजीरिया जैसे देशों के बाद भारत के युवाओं ने कम से कम औसतन 2.5 घंटे रोज़ाना विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खर्च किया।
गौर करने वाली बात है कि, विश्व में भारत में डाटा सबसे सस्ता है, क्योंकि यह युवाओं का देश है जो तमाम क्षेत्रों की कम्पनियों के लिए एक ग्राहक हैं, जो उन्हें लाभ कमाने का अवसर प्रदान करते हैं।
इसी कारण अधिकतर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट मुफ़्त में अपने यहां खाता खुलवाने को प्रेरित करती हैं और आपका डाटा चोरी कर पूंजीपतियों, राजनीतिक दलों और उद्योगपतियों को बेचती हैं।
चाहे गूगल हो, या फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, स्नैपचैट, यूटयूब, इत्यादि तमाम सोशल प्लेटफॉर्म आपसे अनजाने में आपकी सभी जानकारी इकट्ठा कर लेती हैं।
आप क्या खाते हैं, कैसे दिखते हैं, क्या पसंद करते हैं, कहा रहते हैं, कहां कहां जाते है, आपकी क्या रुचि है, आपको कौनसे काम पसंद हैं और भी बहुत कुछ जानकार आपको उसके प्रोपेगेंडा के मुताबिक़ ही विज्ञापन और नोटिफिकशन देती हैं।
अब हमारे यहां के युवा सृजन में कम और सोशल मीडिया पर समय की बर्बादी अधिक करने लगे हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो अपने दिन भर की बाते सोशल प्रोफाइल के माध्यम से सब तक पहुंचाते हैं। उन्हें अपने जीवन की हर छोटी बड़ी बात नकली दुनिया या कहे डिजिटल दुनिया के लोगों को बताने में सुकून मिलता है।
वहीं सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अपनी प्रतिभा को विकसित किया और पूरे विश्व में वाहवाही बटोरी है।
वहीं अब कई काम इसके उपयोग से संपन्न हो रहे हैं, परंतु छोटी छोटी घटनाओं पर बतंगड़ करना बुलिंग, फिशिंग और बदनाम करने की घटनाएं भी साथ साथ बढ़ी हैं।
अब युवा डिजीटल शिक्षा के नाम पर मोबाइल फोन के आदी हो चुके हैं और वह एक आधा मिनट भी मोबाइल से दूर रहना नहीं चाहते हैं।
सोशल मीडिया का आवश्यकता तक एक सीमा में इस्तेमाल इस मायावी दुनिया से युवाओं को बचा सकता है।
Sunday, October 4, 2020
Health Education Programmes in Schools is needed
Country like USA, where information about health is more important for students to learn than the content in language, arts, science and technology, geography or any other subject.
Despite this highly developed nation, most schools devote minimal curriculum time to teaching students how to lead healthy lifestyle.
Our first step might be to consider ways to increase course time devoted to physical activity and training. In addition, school need to thoughtfully analyse the delivery and design of school physical education programme to ensure that they are interesting, engaging, appropriate, inclusive and instructionally powerful.
All these steps lead the students mentally, physically, emotionally and strategically powerful adults in future.
Thursday, August 20, 2020
Nuclear Energy
This form of energy is released when an atom undergoes nuclear fission proceed and tremendous amount of energy is released when heavy atoms like uranium, plutonium, or thorium are bombarded with low energy neutrons.
This form of energy is long lasting and can fulfill the requirements of power to a big number of masses.
The atomic reaction takes place in a nuclear reactor. In India, Bhabha Atomic Research Centre regulates the necessary actions related to the production of atomic energy. BARC was named on the famous Indian Physicts Dr. Homi Jahangir Bhabha, who lead the innovative solutions to develop and grow the indigenous atomic programme.
Saturday, August 15, 2020
संपत्ति उत्तराधिकार कानून में हुआ संशोधन - अब 2020 से पैतृक संपत्ति में बेटे और बेटी को बराबर हिस्सा
पैतृक संपत्ति में बेटे और बेटी को बराबर हिस्सा
9 सितंबर 2005 हिंदू उत्तराधिकार को बने कानून में संशोधन
पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को सिर्फ घर की लक्ष्मी माना जाती है। जब लड़की बड़ी हो जाती है तो दान दहेज देकर उसकी शादी कर दी जाती है। हमारे समाज में प्रचलित प्रथा है कि पिता के उत्तराधिकारी उसके पुत्र होते हैं। इसमें सुधार किए गए, जो ज़रूरी भी थे।
पेश है एक नज़र विस्तार में -
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हिन्दू अविभाजित परिवार की पैतृक सम्पत्ति में बेटी का समान अधिकार होगा, भले ही हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के लागू होने के पहले ही उसके पिता की मृत्यु क्यों न हो गई हो। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में एक बेटी बेटे के समान संपत्ति की बराबर की अधिकारी है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हिन्दू उत्तराधिकार कानून में 2005 में किए गए संशोधन की व्याख्या करते हुए कहा कि यदि कानून संशोधन से पहले भी किसी पिता की मृत्यु हो गई हो तब भी उसकी बेटियों को पिता की सम्पत्ति में बराबर हिस्सा मिलेगा।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपने फैसले में कहा कि एक बेटी जीवन भर के लिए प्यारी बेटी होती है। इसीलिए उसे पिता की सम्पत्ति में पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘वन्स ए डॉटर, ऑलवेज ए डॉटर।’’ गौरतलब है कि 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 में संशोधन किया गया था, इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर का हिस्सा देने की बात कही गई थी।
श्रेणी-एक की कानूनी वारिस होने के नाते संपत्ति पर बेटी का बेटे जितना हक है। शादी से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसकी व्याख्या की मांग की गई थी कि क्या यह संशोधन पूर्वप्रभावी होगा या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने साफ कहा कि जिस तरह पैतृक संपत्ति में बेटों का अधिकार होता है, उसी तरह बेटियों का भी जन्मजात अधिकार है। ये कानून 2020 में बेटियों के लिए किसी तोहफ़े से कम नहीं है, अब वह और सशक्त हो जाएंगी और समाज में पुरूषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल पाएंगी।
Sunday, August 9, 2020
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1. Never tell everyone everything. Even with your family. 2. Be mature enough not to take anything personally. Be less reactive. 3. Don'...
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