Thursday, November 19, 2020

समान नागरिकता कानून या यूनिफॉर्म सिविल कोड है समय की मांग

 यूनिफॉर्म सिविल कोड है समय की मांग




भारत विश्व का सबसे बड़ा गणराज्य है। यहां अनेकों धर्मो के लोग निवास करते हैं। भारत में सबको अधिकार है कि वह अपनी पसंद के अनुसार किसी भी धर्म या संप्रदाय को अपनाकर उसके नियमों का अनुसरण कर सकता है।

Wednesday, November 18, 2020

सोशल मीडिया : बतंगड़ का अड्डा और समय की बर्बादी

एक वह समय था, जब परिवार के लोग एक दूसरे के साथ सार्थक संवाद, हंसी- मजाक, तारीफ़, आदि किया करते थे और अब आज के समय पर नज़र डाले तो ऐसा कोई घर नहीं जहां लोग आपको परिवार में या पड़ोसी से ही बातचीत करते मिले। 

पहले जब इंटरनेट तकनीक नहीं थी, तब पत्र या फोन से बाते हुआ करती थीं, और अब मोबाइल फोन कॉल, या वीडियो कॉल या फिर वॉयस मेसेज, टेक्स्ट आदि से होती हैं।
अब इस लेख को ही ले लीजिए, शायद यह भी आप सोशल मीडिया नेटवर्क से ही पढ़े।
सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मोबाइल एप्लिकेशन ने अभिव्यक्ति की आज़ादी तो दी ही है और इसके साथ साथ विचार व संदेश के आदान प्रदान को सुलभ, सरल भी बनाया है। लोगों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया है परन्तु इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव भी हैं, जो युवाओं के साथ साथ बुद्धिजीवीवर्ग और बुजुर्गों में भी देखने को मिल रहा है।







स्टेटिस्टिका , 2019(एक प्रसिद्ध संगठन जो डाटा संवर्धन करता है) की रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस और नाइजीरिया जैसे देशों के बाद भारत के युवाओं ने कम से कम औसतन 2.5 घंटे रोज़ाना विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खर्च किया। 

गौर करने वाली बात है कि, विश्व में भारत में डाटा सबसे सस्ता है, क्योंकि यह युवाओं का देश है जो तमाम क्षेत्रों की कम्पनियों के लिए एक ग्राहक हैं, जो उन्हें लाभ कमाने का अवसर प्रदान करते हैं।


इसी कारण अधिकतर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट मुफ़्त में अपने यहां खाता खुलवाने को प्रेरित करती हैं और आपका डाटा चोरी कर पूंजीपतियों, राजनीतिक दलों और उद्योगपतियों को बेचती हैं। 

चाहे गूगल हो, या फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, स्नैपचैट, यूटयूब, इत्यादि तमाम सोशल प्लेटफॉर्म आपसे अनजाने में आपकी सभी जानकारी इकट्ठा कर लेती हैं।
आप क्या खाते हैं, कैसे दिखते हैं, क्या पसंद करते हैं, कहा रहते हैं, कहां कहां जाते है, आपकी क्या रुचि है, आपको कौनसे काम पसंद हैं और भी बहुत कुछ जानकार आपको उसके प्रोपेगेंडा के मुताबिक़ ही विज्ञापन और नोटिफिकशन देती हैं। 

 अब हमारे यहां के युवा सृजन में कम और सोशल मीडिया पर समय की बर्बादी अधिक करने लगे हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो अपने दिन भर की बाते सोशल प्रोफाइल के माध्यम से सब तक पहुंचाते हैं। उन्हें अपने जीवन की हर छोटी बड़ी बात नकली दुनिया या कहे डिजिटल दुनिया के लोगों को बताने में सुकून मिलता है।
वहीं सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अपनी प्रतिभा को विकसित किया और पूरे विश्व में वाहवाही बटोरी है। 

वहीं अब कई काम इसके उपयोग से संपन्न हो रहे हैं, परंतु छोटी छोटी घटनाओं पर बतंगड़ करना बुलिंग, फिशिंग और बदनाम करने की घटनाएं भी साथ साथ बढ़ी हैं।
अब युवा डिजीटल शिक्षा के नाम पर मोबाइल फोन के आदी हो चुके हैं और वह एक आधा मिनट भी मोबाइल से दूर रहना नहीं चाहते हैं।



सोशल मीडिया का आवश्यकता तक एक सीमा में इस्तेमाल इस मायावी दुनिया से युवाओं को बचा सकता है।




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