Friday, March 19, 2021

नया फ़ोन launch: भारत का 108MP वाला फ़ोन बाज़ार में जल्द उपलब्ध होगा

Redmi Note 10 Pro फ्लैगशिप फोन को Redmi Note 10 और Redmi Note 10 Pro के साथ लॉन्च किया गया था.  

Note 10 Pro Max की खास बात ये है कि इसमें 108MP का प्राइमरी कैमरा दिया गया है और ये 108MP कैमरा वाला भारत का फिलहाल सबसे सस्ता फोन है.
ऑफर्स की बात करें तो ऐमेजॉन और शाओमी की आधिकारिक वेबसाइट पर ग्राहकों को ICICI बैंक क्रेडिट कार्ड्स और EMI ट्रांजैक्शन्स पर 1,500 रुपये का इंस्टैंट डिस्काउंट मिलेगा. वहीं, शाओमी की वेबसाइट पर MobiKwik से पे करने पर 600 रुपये का कैशबैक भी मिलेगा और जियो की ओर से 349 रुपये वाले प्लान के साथ 10,000 रुपये की वैल्यू के बेनिफिट्स भी दिए जाएंगे.

डुअल-सिम (नैनो) सपोर्ट वाला ये फोन एंड्रॉयड 11 बेस्ड MIUI 12 पर चलता है और इसमें 120Hz रिफ्रेश रेट और 1,200 nits पीक ब्राइनटनेस के साथ 6.67-इंच फुल-HD+ सुपर AMOLED डिस्प्ले दिया गया है. साथ ही यहां गोरिल्ला ग्लास 5 का सपोर्ट भी मिलेगा. 

इस स्मार्टफोन में 8GB तक  LPDDR4x रैम और Adreno 618 GPU के साथ ऑक्टा-कोर क्वॉलकॉम स्नैपड्रैगन 732G प्रोसेसर मौजूद है.





फोटोग्राफी के लिए इसके रियर में 108MP प्राइमरी कैमरा, 5MP मैक्रो कैमरा, 8MP अल्ट्रा-वाइड एंगल कैमरा और 2MP डेप्थ सेंसर मौजूद है. सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए इसमें 16MP का कैमरा दिया गया है.

Redmi Note 10 Pro Max की बैटरी 5,020mAh की है और इसमें 33W फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट भी ग्राहकों को मिलेगा. साथ ही इसमें Hi-Res सपोर्ट के साथ स्टीरियो स्पीकर्स भी दिए गए हैं. इसकी इंटरनल मेमोरी 128GB तक की है और इसे कार्ड की मदद से 512GB तक बढ़ाया जा सकता है.

Tuesday, January 12, 2021

लफ्ज़ निकले हैं, गौर फरमाइएगा 😌

ए जिन्दगी, अब ज़रा थोड़ा सा तो ठहर,
जिन लहरों से सामना करने आए थे हम यहां,
 लगता है अब उनसे लड़ते लड़ते थे हमारी उम्र इस तरह गोते लगते हुए भी थोड़ी आगे निकल गई है।









जब सामने उनको देखा, तब उनमें ख़ुद को पाया,
जब नज़रे उनसे हटी, तो ख़ुद को खोया पाया,
घर पहुंचे तो थोड़ा गुनगुनाया, पर फ़िर पुन: अपने सुर को खोया पाया,
क्या करे !!! शायद यह भी ईश्वर की कोई माया जिसने हमको उनसे भेंट कराया।


- स्वरचित
#अतुल दूबे सूर्य

Thursday, January 7, 2021

महाभारत कथा में क्या इस तरह के हथियारों से लैस थे वीर योद्धा??

महाभारत के मिसाइलों की वास्तविक छवि 

यह ब्रिटिश म्यूजियम में रखे गए है ।। 3500BC के बताए जाते है,तो तकरीबन महाभारत काल का समय है । वास्तव में ऐसे हथियारो से युद्ध नही लड़ा जा सकता ।

यह मिसाइल आदि का प्रतिरूप बनाया गया था, पूर्वज भी तो चाहते थे, की आने वाली पीढ़ी तक इतिहास को किसी भी माध्यम से पहुंचाया जाए ।




क्या महाभारत के इसी प्रकार के हथियार थे ?

यह प्राचीन शस्त्र है । इनकी बनावट देखकर ही पता चल जाता है, यह हाथ से चलने वाले नही, बल्कि मशीनी यंत्र है ।। पहला चित्र कम्बोडिया का है, दूसरा चित्र पार्थियन म्यूजियम की एक गदा का । पार्थियन साम्राज्य अर्थात पार्थ अर्जुन का साम्राज्य ।। रोमन अवशेषो के म्यूजियम में यह गदा पड़ी है । यह गदा 3000 वर्ष बताई जाती है, जबकि वास्तव में यह उससे भी कहीं अधिक प्राचीन है । क्यो की 3000 वर्ष से ज़्यादा का इतिहास बताते ही यह फंस जाएंगे, तो यह सब कुछ 3000 साल के अंदर ही रखना चाहते है ।।

इस गदा को आप देखें । इस गदा क्या युद्ध लड़ा जा सकता है ? एक आदमी की हत्या तो इस गदा से संभव है (वह भी मुश्किल से ) लेकिन महाभारत जैसा युद्ध, या सेनाओं का युद्ध ऐसी गदाओ से नही लड़ा जा सकता ।।

यह निश्चित रूप से महाभारतकाल की किसी मिसाइल का प्रतिरूप चित्र है ।। जैसी मिसाइल आदि हथियार थी, उसका लघु चित्र मूर्ति के माध्यम से बनाया गया । और वही मूर्ति अभी आप देख रहे है ।

इस बात के प्रमाण केवल तर्क है, क्यो की वास्तविक दस्तावेज तो किसी को मिलने से रहें।  आपकी बुद्धि ही इसका प्रमाण है ।




Saturday, December 5, 2020

Sri Krishna Title Shlok




सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे! तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: !!

Thursday, November 19, 2020

समान नागरिकता कानून या यूनिफॉर्म सिविल कोड है समय की मांग

 यूनिफॉर्म सिविल कोड है समय की मांग




भारत विश्व का सबसे बड़ा गणराज्य है। यहां अनेकों धर्मो के लोग निवास करते हैं। भारत में सबको अधिकार है कि वह अपनी पसंद के अनुसार किसी भी धर्म या संप्रदाय को अपनाकर उसके नियमों का अनुसरण कर सकता है।

Wednesday, November 18, 2020

सोशल मीडिया : बतंगड़ का अड्डा और समय की बर्बादी

एक वह समय था, जब परिवार के लोग एक दूसरे के साथ सार्थक संवाद, हंसी- मजाक, तारीफ़, आदि किया करते थे और अब आज के समय पर नज़र डाले तो ऐसा कोई घर नहीं जहां लोग आपको परिवार में या पड़ोसी से ही बातचीत करते मिले। 

पहले जब इंटरनेट तकनीक नहीं थी, तब पत्र या फोन से बाते हुआ करती थीं, और अब मोबाइल फोन कॉल, या वीडियो कॉल या फिर वॉयस मेसेज, टेक्स्ट आदि से होती हैं।
अब इस लेख को ही ले लीजिए, शायद यह भी आप सोशल मीडिया नेटवर्क से ही पढ़े।
सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मोबाइल एप्लिकेशन ने अभिव्यक्ति की आज़ादी तो दी ही है और इसके साथ साथ विचार व संदेश के आदान प्रदान को सुलभ, सरल भी बनाया है। लोगों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया है परन्तु इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव भी हैं, जो युवाओं के साथ साथ बुद्धिजीवीवर्ग और बुजुर्गों में भी देखने को मिल रहा है।







स्टेटिस्टिका , 2019(एक प्रसिद्ध संगठन जो डाटा संवर्धन करता है) की रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस और नाइजीरिया जैसे देशों के बाद भारत के युवाओं ने कम से कम औसतन 2.5 घंटे रोज़ाना विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खर्च किया। 

गौर करने वाली बात है कि, विश्व में भारत में डाटा सबसे सस्ता है, क्योंकि यह युवाओं का देश है जो तमाम क्षेत्रों की कम्पनियों के लिए एक ग्राहक हैं, जो उन्हें लाभ कमाने का अवसर प्रदान करते हैं।


इसी कारण अधिकतर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट मुफ़्त में अपने यहां खाता खुलवाने को प्रेरित करती हैं और आपका डाटा चोरी कर पूंजीपतियों, राजनीतिक दलों और उद्योगपतियों को बेचती हैं। 

चाहे गूगल हो, या फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, स्नैपचैट, यूटयूब, इत्यादि तमाम सोशल प्लेटफॉर्म आपसे अनजाने में आपकी सभी जानकारी इकट्ठा कर लेती हैं।
आप क्या खाते हैं, कैसे दिखते हैं, क्या पसंद करते हैं, कहा रहते हैं, कहां कहां जाते है, आपकी क्या रुचि है, आपको कौनसे काम पसंद हैं और भी बहुत कुछ जानकार आपको उसके प्रोपेगेंडा के मुताबिक़ ही विज्ञापन और नोटिफिकशन देती हैं। 

 अब हमारे यहां के युवा सृजन में कम और सोशल मीडिया पर समय की बर्बादी अधिक करने लगे हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो अपने दिन भर की बाते सोशल प्रोफाइल के माध्यम से सब तक पहुंचाते हैं। उन्हें अपने जीवन की हर छोटी बड़ी बात नकली दुनिया या कहे डिजिटल दुनिया के लोगों को बताने में सुकून मिलता है।
वहीं सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अपनी प्रतिभा को विकसित किया और पूरे विश्व में वाहवाही बटोरी है। 

वहीं अब कई काम इसके उपयोग से संपन्न हो रहे हैं, परंतु छोटी छोटी घटनाओं पर बतंगड़ करना बुलिंग, फिशिंग और बदनाम करने की घटनाएं भी साथ साथ बढ़ी हैं।
अब युवा डिजीटल शिक्षा के नाम पर मोबाइल फोन के आदी हो चुके हैं और वह एक आधा मिनट भी मोबाइल से दूर रहना नहीं चाहते हैं।



सोशल मीडिया का आवश्यकता तक एक सीमा में इस्तेमाल इस मायावी दुनिया से युवाओं को बचा सकता है।




Sunday, October 4, 2020

Health Education Programmes in Schools is needed



Regular physical activity provides numerous health benefits - from learner bodies and lower blood pressure to improved mental health and cognitive functioning. As the school physical education and awareness programme promotes physical activity and can teach skills as well as form or change behaviour, it holds an important key to influencing health and well being across the life span. To improve the fitness of students, we need to rethink the design and delivery of school-based physical education training.




 Country like USA, where information about health is more important for students to learn than the content in language, arts, science and technology, geography or any other subject.
Despite this highly developed nation, most schools devote minimal curriculum time to teaching students how to lead healthy lifestyle.
 
Our first step might be to consider ways to increase course time devoted to physical activity and training. In addition, school need to thoughtfully analyse the delivery and design of school physical education programme to ensure that they are interesting, engaging, appropriate, inclusive and instructionally powerful.

All these steps lead the students mentally, physically, emotionally and strategically powerful adults in future.

Best

Quotes

1. Never tell everyone everything. Even with your family. 2. Be mature enough not to take anything personally. Be less reactive. 3. Don'...