जिन लहरों से सामना करने आए थे हम यहां,
लगता है अब उनसे लड़ते लड़ते थे हमारी उम्र इस तरह गोते लगते हुए भी थोड़ी आगे निकल गई है।
जब सामने उनको देखा, तब उनमें ख़ुद को पाया,
जब नज़रे उनसे हटी, तो ख़ुद को खोया पाया,
घर पहुंचे तो थोड़ा गुनगुनाया, पर फ़िर पुन: अपने सुर को खोया पाया,
क्या करे !!! शायद यह भी ईश्वर की कोई माया जिसने हमको उनसे भेंट कराया।
- स्वरचित
#अतुल दूबे सूर्य
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