यदि, हम उसकी सारी संवेदनाएँ दूर से समझ लें तो वो स्वयं को तुप्त महसूस करती है और पुरुष द्वारा की गई हिंसा को भी प्रेम के रुप में स्वीकारती है,
लेकिन हम जब उसको तौलने लगते है अपने जज़्बातों से तो वो प्रेम की इस काल्पनिक दुनिया से निकलकर खुद को एकांत रखना चाहती है और अपने प्रेम को कभी मैला नही होने देती🌷🌿
इसलिए स्त्री का प्रेम करना अदभुत है, क्योंकि वह संवेदनाओं को वश में कर सकती है और समय पर उजागर भी कर सकती है!! वह रंभा भी है और मां भी, वह सृजन करती है, और इस संसार को धारण कर मां धरती कहलाती है 🙏
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