Sunday, June 4, 2023

"खो गए हम"

उद्भव हुआ 90 के दशक में मेरा भी, और उनका भी
हमारी पहली मुलाकात दूर से हुई थी !! वास्तव में आप खोज थी, यह लगा था कि बस आप में वो सब कुछ है जो एक मेरे जैसा मनुष्य खोज रहा था, वो हरे रंग का सूट या कहें तो कुर्ती जो आधुनिक वाली होती है उसमें ही दूर से आपको देखा था! 

उसे मुलाकात तो नहीं कह सकते पर आभास ज़रूर कह सकते हैं, खुशी का !! उमंग, उल्लास से भरी उत्सुकता का!

असल में आपके बारे में जानकारी बहन से मिली और चित्र बन गई आप, 
यही वजह बना आपके कार्यस्थल पर नौकरी के लिए आवेदन कर आए, और यही एक ठोस कारण था, कि कभी न कभी तो आपसे मिलना या बोलना होगा!
हुआ भी पूरे चार महीने आपसे मिलने का मौका मिला, और सच में चार जन्म जैसा प्रेम दिखा इन दिनों में!!
यहां मालूम हो कि आपकी नाजुक आखों से जो झलकता था वही देखने हम रोज काम पर जाया करते थे, और जब भी मौक़ा मिला आपसे वाचाल हो पड़ते थे, 
अब इसी दरमियान, आपके जन्मदिन पर भी हमने ना समझे ना बुझे ऐसा उपहार दिया जिसे आपने फिर से समेटकर हमें लौटा दिया, 

काफ़ी दुखदायी था, मन में ढेरों सवाल थे पर ! कहानियां बनती हैं यूं ही,
दीवाने की तरह सोचने लगे थे, मस्ताने ऐसे की दूर से ही आपकी खुशबू महसूस होने लगती थी, जब आप पांच दस कदम की दूरी पर होती तब भी हम बस यूं ही देखा करते थे, जैसे राही अपनी मंजिल को, 
पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच कर एवरेस्ट को देखता होगा!




पर ये सब ख्वाब थे, महज ख्वाब जो रात की आंसुओं वाली नींद से जागने के बाद सूजी हुई आंखों के दबने के बाद ओझिल हो गए!

पर महज आप ही इकलौती ऐसी कड़ी हैं जिन्हें ना पाने का मलाल हमें हमेशा रहेगा

Best

शायरी

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