Sunday, April 7, 2024

शायरी

ऐसा था नहीं जैसा अब मैं बन गया हूं , चलते चलते एक जगह थम गया हूं 
लोगों के विचार में फसा एक झमेला हूं मैं, तूझे लगता है कि मैं खुश हूं, पर मेरे दिल से पूछ कितना अकेला हूं मैं 

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