Tuesday, August 6, 2024

धावक और कठोर परिश्रम!! अफ्रीका और रफ़्तार का संबंध

आखिर कहां से आता है इतना दम खम? 😳🤔🤔
ये धावक जनजाति समूहों से हैं, जो मूलभूत सुविधाओं से नदारद हैं, और गरीबी से पीड़ित होने के बावजूद प्रकृति पर पूरी तरह आश्रित हैं.

इनकी जिजीविषा, इनकी मुस्कान और इनकी हिम्मत दृढ़ इच्छाशक्ति से आंकी जा सकती है!!🏃🏃⚡⚡⏩🚄

दोनों धावकों से सीखने वाली तीन बातें 
1). बिना कोताही के ईमानदारी से परिश्रम से सफलता मिलती है।
2). कभी भी आप खुद को तराशने की  सधी हुई शुरुआत कर सकते हैं! सुविधाएं, संपन्नता आदि कहीं भी आड़े नहीं आती है।
3). दृढ़ संकल्प, विश्वास, और कठोर परिश्रम दृढ़ इच्छाशक्ति के जनक हैं। मेहनत करें सफलता अवश्य मिलेगी।

🥇🥈🥉⭐🌟⭐
संकल्प से सिद्धि संभव है।

Sunday, April 7, 2024

शायरी

ऐसा था नहीं जैसा अब मैं बन गया हूं , चलते चलते एक जगह थम गया हूं 
लोगों के विचार में फसा एक झमेला हूं मैं, तूझे लगता है कि मैं खुश हूं, पर मेरे दिल से पूछ कितना अकेला हूं मैं 

Monday, March 25, 2024

लघु कथा

कड़ी मेहनत और सब्र का फल
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बात 2019 के जनवरी की है, मेरी मां मिर्ची🌶️ का पौधा ले आई। जिनमें करीब 20 छोटे पौधे शामिल थे। अब उनको गमले और खाली ज़मीन में लगा दिया।


कुछ तो स्वयं सूख गए, कुछ जिंदा रहे, तमाम उपाय किए कभी इस जगह कभी यहां कभी वहां कभी जैविक खाद तो कभी लकड़ी का बुरादा और आज ये फल 🌶️ एक हरी मिर्च, प्रकृति भी अजीब है, दो साल तक सिंचाई और दो साल बाद सिर्फ एक फल, सब्र का फल🤓🙂

जितने यत्न किए प्रयत्न करे उतने ही देरी से निकला यह फल।

निष्कर्ष: सब्र का फल कभी कभी तीखा भी होता है।😂😂


•अतुल दूबे "सूर्य"
•गोरखपुर

स्त्री का प्रेम और संवेदनाएं

🌷🌿स्त्री कर सकती है प्रेम, बिना वासना की माँग किये, वो अलग आधार ढूँढती है प्रेम का!!
यदि, हम उसकी सारी संवेदनाएँ दूर से समझ लें तो वो स्वयं को तुप्त महसूस करती है और पुरुष द्वारा की गई हिंसा को भी प्रेम के रुप में स्वीकारती है,

लेकिन हम जब उसको तौलने लगते है अपने जज़्बातों से तो वो प्रेम की इस काल्पनिक दुनिया से निकलकर खुद को एकांत रखना चाहती है और अपने प्रेम को कभी मैला नही होने देती🌷🌿

इसलिए स्त्री का प्रेम करना अदभुत है, क्योंकि वह संवेदनाओं को वश में कर सकती है और समय पर उजागर भी कर सकती है!! वह रंभा भी है और मां भी, वह सृजन करती है, और इस संसार को धारण कर मां धरती कहलाती है 🙏

Sunday, June 4, 2023

"खो गए हम"

उद्भव हुआ 90 के दशक में मेरा भी, और उनका भी
हमारी पहली मुलाकात दूर से हुई थी !! वास्तव में आप खोज थी, यह लगा था कि बस आप में वो सब कुछ है जो एक मेरे जैसा मनुष्य खोज रहा था, वो हरे रंग का सूट या कहें तो कुर्ती जो आधुनिक वाली होती है उसमें ही दूर से आपको देखा था! 

उसे मुलाकात तो नहीं कह सकते पर आभास ज़रूर कह सकते हैं, खुशी का !! उमंग, उल्लास से भरी उत्सुकता का!

असल में आपके बारे में जानकारी बहन से मिली और चित्र बन गई आप, 
यही वजह बना आपके कार्यस्थल पर नौकरी के लिए आवेदन कर आए, और यही एक ठोस कारण था, कि कभी न कभी तो आपसे मिलना या बोलना होगा!
हुआ भी पूरे चार महीने आपसे मिलने का मौका मिला, और सच में चार जन्म जैसा प्रेम दिखा इन दिनों में!!
यहां मालूम हो कि आपकी नाजुक आखों से जो झलकता था वही देखने हम रोज काम पर जाया करते थे, और जब भी मौक़ा मिला आपसे वाचाल हो पड़ते थे, 
अब इसी दरमियान, आपके जन्मदिन पर भी हमने ना समझे ना बुझे ऐसा उपहार दिया जिसे आपने फिर से समेटकर हमें लौटा दिया, 

काफ़ी दुखदायी था, मन में ढेरों सवाल थे पर ! कहानियां बनती हैं यूं ही,
दीवाने की तरह सोचने लगे थे, मस्ताने ऐसे की दूर से ही आपकी खुशबू महसूस होने लगती थी, जब आप पांच दस कदम की दूरी पर होती तब भी हम बस यूं ही देखा करते थे, जैसे राही अपनी मंजिल को, 
पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच कर एवरेस्ट को देखता होगा!




पर ये सब ख्वाब थे, महज ख्वाब जो रात की आंसुओं वाली नींद से जागने के बाद सूजी हुई आंखों के दबने के बाद ओझिल हो गए!

पर महज आप ही इकलौती ऐसी कड़ी हैं जिन्हें ना पाने का मलाल हमें हमेशा रहेगा

Tuesday, October 19, 2021

बारिश के साथ मछली आसमान से गिरी

गोरखपुर: बारिश के मौसम में पानी और ओले बरसना आम बात है. आपने बारिश के साथ छोटे-छोटे ओले गिरते ही देखे होंगे, लेकिन भदोही जनपद में बारिश के साथ मछली आसमान से गिरी है, जिसे देख लोग अचंभित रह गए. भदोही जनपद के चौरी क्षेत्र के कंधिया के पास सोमवार को तेज हवा के साथ हुई बारिश में आकाश से मछलियां गिरने लगीं.


चौरी इलाके के कंधिया फाटक के पास का यह पूरा मामला है. बारिश के दौरान पानी के साथ जैसे ही मछलियां गिरने लगी इसे देखकर लोग अचंभित रह गए. इस दौरान एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों छोटी-छोटी मछलियां बारिश के दौरान गिरी. जिनको कई ग्रामीणों ने एकत्रित भी किया. हालांकि इन मछलियों को ग्रामीणों ने तालाब और आसपास के गड्ढों में फेंक दिया.


मौसम विशेषज्ञों ने कही ये बात ......



गांव के रहने वाले सुखलाल ने बताया कि मछलियों को गिरता देख सभी लोग अचंभित रह गए. हालांकि मछलियों को खाया नहीं गया. जानकारी के मुताबिक ग्रामीणों ने 50 किलो से ज्यादा मछलियों को इकट्ठा कर गड्ढों और तालाब में छोड़ दिया. वहीं मौसम विशेषज्ञों की अगर माने तो उनका कहना है कि कभी-कभी निम्न दबाव क्षेत्र बनने के कारण ऐसा होता है. नदिया ,तालाब के पास बनी चक्रवाती हवा मछलियों को भी उड़ा ले जाती है और आसपास के क्षेत्रों में बारिश के दौरान ऐसा देखने को मिलता है.

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धावक और कठोर परिश्रम!! अफ्रीका और रफ़्तार का संबंध

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