Monday, December 3, 2018

संघर्ष के चार साल सप्रंग सरकार

  वर्ष 2014 के मई से आज देश 2018 तक सरकार में प्रमुख नरेंद्र मोदी के नेतृत्वा में विकास तो हुआ है, परन्तु जिस गति से होना चाहिए था ,उसमे कुछ देरी हो रहे है। चूकि भारत की राजनीति में केवल विपक्षी  सरकार का दुष्प्रचार करने में विश्वास रखते है। सरकारी योजनाओ कौशल विकास , विमुद्रीकरण , आयुष्मान भारत , सौभाग्य बिजली योजना , स्वच्छ भारत , मेक इन इंडिया , जन धन योजना , अटल पेंशन योजना , आदि का क्रियान्वयन से पहले परीक्षण शुरू हो जाता है और विभिन्न पार्टियों के नेता उनका एक्सपर्ट सुझाव देने लगते है । सरकारी नीतियों का ईमानदार प्रयोग और उनका सही तरह से उपयोग करना सबका दायित्वा होना चाहिए । सभी मिलजुल कर देश की संसद में चर्चा करे और अपना योगदान स्वहित से ऊपर उठकर जान हित में दे तब यह वैचारिक संघर्ष खत्म हो जायेगा और भारत आने वाले वर्षो में विकसित हो जायेगा।

हार कर सीखना

हम सब लोग स्वयं को सदैव दूसरों से बेहतर मानते हैं,
और यही पूर्वाग्रह हमारी हार का कारण बन जाता है। हरिवंश राय बच्चन ने कहा था की कोशिश करने वालो की हार नहीं होती की सार्थकता तब ही है जब तक सब्र कायम है। और आखिरी दम तक लड़ना और जीत कर आगे बढ़ना ही बहादुरी है।
हमारी हर हार में एक नई सीख छिपी हुई होती है और जब भी हम हारकर आगे बढते है, जीत का रास्ता सुनिश्चित हो जाता है।    

हर जीत के पीछे संघर्षों की लंबी श्रृंखला होती है, और जीत का एहसास मधुर तभी होता है। हमारी जीत हमारे जूझने की परीक्षा भी है, हम कितना प्रयास करते है, कितनी बाधाओं का सामना करते हैं और कब तक धीरज रखते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं , हमारी जीत को तय करता है।
त्याग और समर्पण का भाव जीत दिलाने में सहायक है। 

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शायरी

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