Tuesday, October 19, 2021

बारिश के साथ मछली आसमान से गिरी

गोरखपुर: बारिश के मौसम में पानी और ओले बरसना आम बात है. आपने बारिश के साथ छोटे-छोटे ओले गिरते ही देखे होंगे, लेकिन भदोही जनपद में बारिश के साथ मछली आसमान से गिरी है, जिसे देख लोग अचंभित रह गए. भदोही जनपद के चौरी क्षेत्र के कंधिया के पास सोमवार को तेज हवा के साथ हुई बारिश में आकाश से मछलियां गिरने लगीं.


चौरी इलाके के कंधिया फाटक के पास का यह पूरा मामला है. बारिश के दौरान पानी के साथ जैसे ही मछलियां गिरने लगी इसे देखकर लोग अचंभित रह गए. इस दौरान एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों छोटी-छोटी मछलियां बारिश के दौरान गिरी. जिनको कई ग्रामीणों ने एकत्रित भी किया. हालांकि इन मछलियों को ग्रामीणों ने तालाब और आसपास के गड्ढों में फेंक दिया.


मौसम विशेषज्ञों ने कही ये बात ......



गांव के रहने वाले सुखलाल ने बताया कि मछलियों को गिरता देख सभी लोग अचंभित रह गए. हालांकि मछलियों को खाया नहीं गया. जानकारी के मुताबिक ग्रामीणों ने 50 किलो से ज्यादा मछलियों को इकट्ठा कर गड्ढों और तालाब में छोड़ दिया. वहीं मौसम विशेषज्ञों की अगर माने तो उनका कहना है कि कभी-कभी निम्न दबाव क्षेत्र बनने के कारण ऐसा होता है. नदिया ,तालाब के पास बनी चक्रवाती हवा मछलियों को भी उड़ा ले जाती है और आसपास के क्षेत्रों में बारिश के दौरान ऐसा देखने को मिलता है.

Tuesday, June 22, 2021

संदेश एक आयुर्वैदिक बंगाली मिठाई





प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है यह अनोखी मिठाई।

Indian History - Notes

 

History

·       European Companies

Company

Established

Place

Start of Trade

Portuguese

1498

Kochin

1503

Deutsch

1602

Maulipatnam

1605

British

1600

Surat

1608

Danish

1616

Trankobar

1620

French

1664

Surat

1668

 

·       Deutsch people from Netherland or Holland came to India in search of money and trade opportunities. Deutsch did the trade of spices by using gold money “Paigoda”. In 1759, they were defeated by the Britishers in the “War of Bedara”.

·       French government established their company in 1668 in the reign of emperor Louis 14.

·       Portuguese – Vasco D Gama was the first man to reach India through sea route. He reached Calicut in Kerala where the then King Jamorin welcomed him with royal hospitality.

The first viceroy Portugal was “ Francisco D Almeida”. The real working viceroy was “ Alphonso D Albukark”. Goa was made as the main trade centre of the Portuguese Company. The established printing press and started tobacco production.

·       Denmark – Danish people were interested in the establishment of “Christian Missionaries”. The main centre of their missionaries was situated at Serampur in Bengal.

·       French – The French company was founded by the emperor of France “Louis 14” through his minister “Coalbirt”. Pondicherry was their main trade centre and they established “Fort Louis” in Karnataka. The war of Karnataka fought between British and French.

ब्लैक फंगस




1- ब्लैक फंगस गले के रास्ते नाक, जबड़े को प्रभावित करते हुए आंख तक पहुंचता है। यहां से यह तेजी से मस्तिष्क में पहुंचता है। आंख के चारों तरफ सूजन हो जाता है । संक्रमण रोकने के लिए पूरी आंख भी निकालनी पड़ सकती है। शुरुआती लक्षण दिखने पर एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन लग जाए, तो संक्रमण रुक जाता है। देर हुई तो आपरेशन ही एकमात्र विकल्प होता है। इसका इलाज खर्च बेहद महंगा है।

2- गले से ब्लैक फंगस यदि नाक की तरफ न बढ़कर नीचे की तरफ जाता है, तो यह सांस के रास्ते फेफड़े में पहुंच जाता है। फेफड़े में भी यह तेजी से फैलता है। सीटी स्कैन से ही इसका पता चल पाता है। ये फेफड़े को बुरी तरह प्रभावित करता है। मरीज को सांस की परेशानी झेलनी पड़ती है।

3- यदि ब्लैक फंगस का हमला त्वचा पर होता है, तो त्वचा पर लाल घेरा वाली फुंसियां होने लगती हैं। इनके ऊपरी हिस्से में कालापन होता है और स्त्राव भी कालापन लिए होता है।

4- कुछ मरीजों की छोटी आंत में ब्लैक फंगस मिले हैं। यह मरीज कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हो गए थे, लेकिन इनके पेट में दर्द होने पर सीटी स्कैन कराया गया तो ब्लैक फंगस मिला।

Friday, June 18, 2021

जाम_का_झाम

मोटी लड़कियों और औरतों का क्या ?


एक तीन आदमी बराबर लोवर शर्ट और मास्क लगाए, बहनजी से आज सामना हो गया जाम के दौरान: और हुआ कुछ यूं 👇

मोड़ पर खड़ी थी, गाड़ियां इधर उधर लगी थी, सब फंसी पड़ी थी, 

और वह मोड़ पर खड़ी थी, 

थोड़ा साइड होने को बोला तो खफा सी हो गई,
मुंह बिचकाते हुए बोल पड़ी, हमारी वजह से जाम थोड़ी लगा है🤣🤣🤣🤣

हम नहीं हटेंगे, आप थोड़ा ठहर जाओ,

अब थोड़ा सा जगह आगे की कार के बढ़ते हुए मिल गया,

फिर क्या था, हमने अपनी सवारी खुद साइड कर निकल पड़े, अपने गंतव्य की तरफ!!

इतना अलग ना महसूस किया करो। स्वयं को अपनाओ और खुद को सेहतमंद रखो।




Monday, May 24, 2021

भारत की पहली सेल्फ रैपिड एंटिजन टेस्ट किट

पुणे की मायलैब को आईसीएमआर की तरफ से भारत की पहली सेल्फ रैपिड एंटिजन टेस्ट किट के रूप में मंजूरी मिल गई है। आईसीएमआर ने कोविसेल्फ को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें किट के प्रयोग को लेकर दिशानिर्देश हैं।

मायलैब के मुताबिक, अगले सप्ताह तक कोविसेल्फ किट देश के 7 लाख से ज्यादा मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध हो जाएंगे। साथ ही इसे ऑनलाइन खरीदने का भी विकल्प प्राप्त हो सकता है। कंपनी के प्रमुख सुजीत जैन के मुताबिक, उनकी कंपनी देश के 90 प्रतिशत इलाके में इस किट को पहुंचाना चाहती है।


एक टेस्टिंग किट का दाम 250 रुपए है।

सुजीत जैन के मुताबिक, इस किट से सिर्फ 2 मिनट में टेस्ट किया जा सकेगा, जबकि परिणाम प्राप्त करने में करीब 15 मिनट का समय लगेगा। इस किट की मदद से लोग घर बैठे ही अपना टेस्ट कर सकेंगे। इस किट का इस्तेमाल लक्षण आने के बाद या फिर किसी संक्रमिण व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद किया जा सकता है। इससे रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए CoviSelf app का इस्तेमाल करना होगा और उसमें मांगी गई सभी जरूरी जानकारी को उसमे फीड करना होगा। यह डाटा एक सुरक्षित सर्वर पर सेव रहेगा।

 इस टेस्ट किट में 
👉एक ट्यूब, 
👉नाक स्वैब लेने वाली स्टिक,
👉 एक टेस्टिंग कार्ड और
👉 एक biohazard बैग होगा।

इस्तेमाल का तरीका

🩸टेस्ट किट को खोलने से पहले अपने हाथ अच्छी तरह धो लें ।

🩸जिस स्थान पर किट रखी जाएगी, उसे भी साफ कर लें।

🩸इसके बाद लिक्विड वाली शीशी को सीधा करके पकड़ें, ताकि उसका लिक्विड एक स्थान पर ही इकट्ठा रहें।
🩸अब स्वैब वाली स्टिक के पाउच को ओपेन करें। ध्यान रखें कि स्टिक को हैंडल वाले स्थान से पकड़ा जाए और स्वैब वाली जगह को हाथ न लगाएं।
🩸 इसके बाद स्टिक को करीब 2-3 इंच तक अंदर डालें या फिर जब तक वह नाक के पीछे के पीछे वाले हिस्से को टक न करें। इसके बाद उसे घुमाएं
🩸 इसके बाद दूसरे हाथ वाली लिक्विड वाली ट्यूब में स्वैब वाली स्टिक डालकर उन्हें आपस में मिलाएं।
🩸इसके बाद शीशे से बाहर निकला स्टिक का हिस्सा तोड़कर अलग रख लें और स्वैब वाले हिस्सो को शीशी में छोड़कर टक्कन लगा दें।
🩸इसके बाद टेस्ट कार्ड उठाएं और उस पर बने छोटे गोल घेरे में शीशी से दो-तीन बूंदें गिराएं और 15 मिनट का इंतजार करें।

🩸कार्ड पर सी (क्वालिटी कंट्रोल लाइन) और टी (टेस्टिंग लाइन) लिखा होगा। 10-15 मिनट के बाद अगर C के आगे लाल निशान उभरा तो इसका मतलब है कि रिपोर्ट नेगेटिव है। अगर C और T दोनों के सामने लाल निशान उभरा तो रिपोर्ट पॉजिटिव है।( जैसे प्रेगनेंसी टेस्ट स्ट्रिप में होते हैं।)
🩸इसकी फोटो CoviSelf ऐप से क्लिक करें और कुछ समय के बाद आपको रिपोर्ट मिल जाएगी।

Saturday, May 22, 2021

प्रकृति क्या है?


प्रकृति क्या है?
_________________________________
वह अद्भुत है, हरियाली शोभा है,
कलिका है, ईश्वर का दर्पण है,🔮🔮

कही किसान का समर्पण, इस जग को अर्पण है,
मदमस्त हवा का झोका है, परिंदों का आकर्षण है,
ये प्रकृति है जनाब!! ईश्वर का दर्पण है 🌹🌹

©•अतुल दूबे "सूर्य"



#प्रकृति #अर्पण #समर्पण #आकर्षण #nature #naturephotography

Sunday, May 9, 2021

गोरखपुर में दिखेगा एक और खूबसूरत नजारा, सारस पक्षी के प्रवास के लिए नयागांव का होगा संरक्षण

 गोरखपुर: महानगर में अनेक प्रकार की खूबसूरत और ऐतिहासिक धरोहरे मौजूद हैं। इनमें से ही एक अद्भुत और प्राकृतिक संपदा के रूप में सारस पक्षी का बसेरा भी एक बेहतरीन धरोहर है। जिनके संरक्षण एवं संवर्धन की जरूरत है। यह बातें रविवार को सदर सांसद रवि किशन शुक्ला ने कही।



सदर सांसद ने कहा कि राजेंद्र नगर कॉलोनी पश्चिमी रोहिणी नदी के निकट नयागांव में इन दिनों सारस पक्षियों के प्रवास एक खूबसूरत नजारा शहरवसियों को देखने को मिल रहा है। 
इस अद्भुत प्राकृतिक स्थल को संरक्षित करने से सारस पक्षी की आने की संख्या बढ़ेगी तो आने वाले दिनों में यहां का नजारा और भी आकर्षक होगा।
 उन्होंने कहा कि वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर धीरज सिंह एवं हेरिटेज फाउंडेशन के सदस्यों ने मुझ से मुलाकात करके सारस पंक्षियों के नया गांव स्थित प्रवास स्थल को संरक्षित करने की मांग की थी। 
यह निश्चित रूप से यह एक गंभीर विषय है। धीरज स्वयं के प्रयास से इस विषय पर कार्य कर रहे हैं। इनके द्वारा कुछ समस्याओ से भी अवगत कराया गया है। जिसका जल्द ही समाधान किया जाएगा।
रवि किशन ने कहा कि मेरा प्रयास है कि गोरखपुर शासन और प्रशासन की मदद से पानी के प्रवाह को बनाए रखने के साथ ही साथ सारस पक्षी के संरक्षण कार्य के लिए योजना बनाकर कार्य किया जाए। प्रकृति की अमूल्य धरोहर, जो विलुप्त हो रही है। उनमे से एक सारस पक्षी के प्रजाति को संरक्षण व सुरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। हम सब इस अद्भुत स्थल को सजाने और संवारने के लिए हर कदम उठाएंगे।

Monday, May 3, 2021

जामुन के औषधीय गुण जो संक्रमण की स्थिति में रामबाण हैं!!!........

जामुन (Java Plum) के मीठे फल सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही यह गुणों से भी भरपूर होते हैं यह तो आप बखूबी जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जामुन का सिरका भी आपके स्वास्थ्य के लिए किसी औषधी से कम नहीं है?



जामुन के चमत्कारी गुणों में कई बीमारियां दूर करने की क्षमता है। मधुमेह के रोग से लेकर खून की कमी से जूझ रहे लोगों तक के लिए यह अत्यंत लाभकारी है। विटामिन ए, विटामिन सी, आयरन, फाइबर मैगनीशियम, पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन समते कई पोषक तत्वों से भरपूर जामुन का सिरका आपके स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करता है। 

हमारे चैनल पर जाए और जामुन पर बना वीडियो देखें:

https://youtu.be/Nt8S0BRqVBA


जामुन के सिरके का नियमित सेवन करने से शरीर में वात, पित्त और कफ का भी संतुलन बना रहता है। साथ ही इसमें पाए जाने वाले एंटी बैक्टीरियल गुण (AntiBacterial Properties) आपको तमाम प्रकार के संक्रमणों से भी बचाते हैं।

जामुन के सिरके पर हुए एक शोध में यह पाया गया कि इसके गुण आपके वजन घटाने में काफी मददगार हैं। वजन प्रबंधन के तौर पर भी इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक होता है, इसलिए इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। 


जामुन का सिरका बनाना काफी आसान है। हालांकि बाजार में आपको जामुन का सिरका आसानी से उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन उनमें कैमिकल्स (Chemicals) और प्रिजर्वेटिव्स (Preservatives) का मिश्रण भी हो सकता है।


 इसलिए, बेहतर है कि अपने घर पर ही इस सिरके को तैयार किया जाए। इसके लिए आप कम से कम 2 किलो जामुन एकत्र करें। उन्हें अच्छे से धो लें, जिससे उसमें मिट्टी या गंदगी न रह जाए। अब जामुन को रगड़कर उसकी गुठलियों को अलग कर दें। अब आप चाहें तो इसे मिक्सर ग्राइंडर में भी पीस सकते हैं या हाथों से भी मसलर इसका रस निकाल सकते है। ध्यान रहे कि जामुन का रस निकालते हुए किसी साफ सूती कपड़े की मदद से इसे अच्छे से छान लें। चाहें तो स्वादानुसार इसमें काली मिर्च का भी प्रयोग कर सकते हैं।

आइये जानते हैं जामुन के सिरका किन बीमारियों को दूर करने में मददगार है.........

दांतों से ब्लीडिंग को रोके

दांत से खून आना एक आम समस्या है, जो बच्चों में ज्यादातर देखी जाती है। जामुन का सिरका इस समस्या को भी ठीक करने की छमता रखता है। माना जाता है कि जामुन के सिड़के को दांत पर रगड़ने से दांतों का दर्द तो दूर होता ही है साथ ही दांत चमकदार भी होते हैं। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण आपके मसूड़ों को मजबूत करने के साथ ही माउथ अल्सर यानि मुंह के छालों से भी छुटकारा दिलाता है। साथ ही इसमें मौजूद स्ट्रॉंग एस्टिजेंट गुण आपके मुंह से आ रही बदबू को भी रोकते हैं और दांते में होने वाली सड़न और बैक्टीरिया लगने से रोकते हैं।  

किडनी स्टोन में मददगार

किडनी में पथरी हो जाने के बाद लोग तरह-तरह के नुस्खे अपनाते हैं। कुछ नुस्खे कारगर साबित होते हैं तो वहीं कुछ विफल भी हो जाते हैं। किडनी स्टोन में तो विशेषज्ञों द्वारा भी जामुन के सिरके का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व और एंटी बैक्टीरियल गुण आपके स्टोन को धीरे-धीरे जलाकर उसे पेशाब के रास्ते से बाहर निकालने में मदद करते हैं।

जामुन के सिरके का उपयोग करकर आप कई बीमारियों से निजात पा सकते हैं। इसे घर पर बनाने के लिए इस लेख में दिए गए तरीका का इस्तेमाल करें। इसका सेवन आपके लिए बेहद कारगर साबित होगा।

बवासीर से दिलाए राहत

बवासीर एक गंभीर समस्या है, जिससे अधिकांश लोग त्रस्त हैं। इस समस्या में आपके गुदा के अंदरूनी और बाहरी हिस्से में मस्से बन जाते हैं। यह एक पीड़ादायक स्थिति है। ऐसे में आप जामुन के सिरके को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसमें लैक्सेटिव एसिड पाया जाता है, जो पेट के विकारों के लिए काफी लाभदायक है। यह मल को आंत (Intestine) से आसानी से निकालकर गुदा (Anus) तक पहुंचाने में मदद करता है। जिससे बवासीर के रोगियों को काफी राहत मिलती है। इसके सेवन से बवासीर में हो रहे भयंकर दर्द से भी राहत मिलती है।

पाचन तंत्र दुरूस्त करता है

एंटी बैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल गुण आपके पेट में पनप रहे बैक्टीरिया का सफाया करने में मदद करते हैं। यही नहीं इसमें फाइबर की प्रचुरता होती है, जो आपको डायरिया जैसी क्रॉनिक डिजीज से भी बचाता है। साथ ही आपके पेट में हो रही अपच के लिए इसमें ओक्सालिक एसिड, फॉलिक एसिड और गैलिक एसिड की मौजूदगी होती है, जो पेट में गैस और कब्ज को बनने से रोकते हैं।


मधुमेह या शुगर में लाभकारी

मधुमेह यानि डायबिटीज जिससे आजकल अमूमन लोग पीड़ित हैं। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाने से आप डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं। लेकिन, जामुन के सिरके में एंटी डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं, जो आपको डायबिटीज से छुटकारा दिलाते हैं। बता दें कि डायबिटीज के मरीजों को शरीर में हाइपरग्लेमिया (Hyperglycemia) को मैनेज करने के लिए जामुन के सिरके का सेवन करने के सलाह दी जाती है। इसमें मौजूद एंटी माइक्रोबियल एपिटाइजर प्रॉपर्टीज (Microbial Appetizer Properties) आपकी शरीर में मौजूद शुगर लेवल को कम कर शगर लेवल को एनर्जी यानि उर्जा में परिवर्तित करने में मदद करते हैं। रात के समय जामुन के सिरके का सेवन करने से आपका इंसुलिन का स्तर भी संतुलित रहता है। मधुमेह के रोगियों के लिए यह सिरका किसी रामबाण से कम नहीं है। 


यूरीन इन्फेक्शन को दूर किया जाता है

किडनी और ब्लेडर (Bladder) में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाने के कारण आपको यूरीन इंफेक्शन की समस्या हो जाती है। हालांकि, इसके अन्य भी कई कारण हो सकते हैं जैसे पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करना आदि। ऐसे में जामुन के सिरके का सेवन आपके लिए अत्यंत लाभकारी विकल्प साबित हो सकता है। इसमें पाए जाने वाले विटामिन और मिनिरल की मात्रा आपके शरीर में पनप रहे बैक्टीरिया का सफाया कर शरीर को फिर से सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करते हैं। इसका नियमित सेवन करने से आप यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से छुटकारा पाने के साथ ही किडनी, ब्लेडर से जुड़ी समस्या ओं के साथ मूत्र संबंधी अन्य विकारों से भी पीछा छुड़ा सकते हैं। 

दिल के रोगियों के लिए अच्छा

जामुन आपके दिल का भी अच्छा साथी माना जाता है। इसके सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है। इसमें पोटैशियम की अधिक मात्रा पाई जाती है, जो आपकी धमनियों को सख्त होने से बचाता है। यही नहीं इसके सेवन से उच्च रक्तचाप के लक्षण में भी काफी कमी आती है यानि हाई ब्लड प्रेशर की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है। जामुन के सिरके का सेवन आपको स्ट्रोक और हाइपरटेंशन जैसे गंभीर रोगों से भी बचाता है। बता दें कि इसका सिरका आपके कोलेस्ट्रोल और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने के साथ ही कार्डियोवसक्युलर डिजीज से भी निजात दिलाता है। 

Wednesday, April 28, 2021

कोई एक चीज घर में रखकर देखें, पलट जाएगी किस्मत, निखरेगा भविष्य........

नई दिल्ली: ऐसा माना जाता है कि मेहनत और कठिन परिश्रम की वजह से ही इंसान को उसकी मंजिल प्राप्त होती है। 
जो जीवन में सफल होना चाहता है, कुछ  हासिल करना चाहता है, उसके लिए कोई शॉर्ट कट नहीं है। परिश्रमी व्यक्ति अपने पुरुषार्थ से जीवन के हर उद्देश्य को पा लेता है।

वैसे तो ये बात शत-प्रतिशत सच है, लेकिन कई बार ऐसा होता है जो अत्याधिक मेहनत करने के बाद भी बहुत से लोग सफलता से दूर रह जाते हैं, या फिर कई तो ऐसे भी होंगे जिन्हें ऐसा अवसर ही नहीं मिल पाता जो उसे आगे बढ़ा सके। इस मामले में तो मेहनत या लगन भी कोई फायदा नहीं पहुंचा पाती।
अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, अपनी मेहनत का उचित परिणाम नहीं मिल रहा है या फिर अभी तक एक बेहतरीन अवसर की ही तलाश कर रहे हैं तो हम आपको वास्तुशास्त्र से संबंधित कुछ ऐसी वस्तुओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
 विभिन्न जॉब या व्यवसाय में कार्यरत लोगों के लिए वस्तुएं अलग-अलग हैं।

गाय के बछड़े की मूर्ति
अपना आपका काम (जॉब या व्यवसाय) खानपान से संबंधित है, मसलन खाद्य पदार्थों की दुकान, किराने की दुकान आदि तो आपको अपने बेडरूम में गाय और बछड़े की मूर्ति रखनी चाहिए। इससे आपका काम और अच्छा हो जाएगा।

ज्वेलरी का काम
अगर आप सोने या चांदी के सामानों/गहनों का काम करते हैं तो आपको अपने बिजनेस को चमकाने के लिए अपने शयन कक्ष में चांदी से बना मोरपंख टांगना चाहिए।

कपड़ा व्यवसाय
अगर आप कपड़े का काम करते हैं, कपड़े की दुकान, फैकट्री या फिर सप्लाई से जुड़े हैं तो वास्तुशास्त्र के अनुसार अपके लिए लाल रंग का दुपट्टा काम कर जाएगा। आपको अपने कमरे में लाल रंग का दुपट्टा टांगना चाहिए।

ऑटोमोबाइल का व्यापार
अगर आप किसी वाहन के शोरूम या दुकान के मालिक हैं तो आपको वहां कांस्य का बना एक परामिड रखना चाहिए। अगर किसी वजह से कांस्य का पिरामिड नहीं बनवा पा रहे हैं तो लकड़ी का पिरामिड अपने कार्यक्षेत्र में रखें।

इलेक्ट्रिक शॉप
अगर आप बिजली के उपकरण या गैजेट से संबंधित कोई व्यवसाय या जॉब करते हैं तो आपको अपने बेडरूम में क्रिस्टल का विंडचाइम टांगना चाहिए। ये आपके व्यवसाय को नई ऊर्जा प्रदान करेगा।

व्यापार में परेशानी
अगर आप अपने बिजनेस को लेकर परेशान हैं, किसी कारणवश आपको लगातार नुकसान ही झेलना पड़ रहा है तो आपको अपने बेडरूम में लकड़ी की बांसुरी रखनी चाहिए। वहीं अगर आप अपने कॅरियर में निखार लाना चाहते हैं तो आपको अपने बेडरूम में सूर्यदेव की मूर्ति अवश्य रखनी चाहिए।

जूतों का व्यवसाय
अगर आप जूते या लेदर से संबंधित किसी व्यवसाय से जुड़े हैं, तो आपके लिए काले रंग का शो पीस बहुत काम का है। आपको अपने बेडरूम में काले रंग का कोई शोपीस अवश्य रखना चाहिए।
(पंडित. अतुल कुमार दूबे)

नोट: हम इस लेख की सटीकता, पाठन सामग्री और निहित जानकारी की विश्वसनीयता की गारंटी नहीं देते। हमारा उद्देश्य आपको इन उपायों व तथ्यों (विभिन्न माध्यमों, धर्मग्रंथों, और ज्योतिष ज्ञानियों से प्राप्त) की महज जानकारी देना है, आपको अपने विवेकानुसार किसी मत को धारण करना चाहिए। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।

Monday, April 26, 2021

योग करें निरोग


योगा अभ्यास की आध्यात्मिक तथा स्वास्थ्य संबंधी उपयोगिता सर्वत्र सिद्ध है। योग से कुछ रोगों की सफल चिकित्सा की जा रही हैं विभिन्न योग संस्थानों में हो रहे शोध कार्यों से लगभग अधिकांश रोगों की चिकित्सा की जा रही है। योग अब चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित होता जा रहा है।


योग विज्ञान के ऐतिहासिक, दार्शनिक, समाज वैज्ञानिक तथा शैक्षणिक पक्षों पर अनुसंधान किया जाना चाहिए। वैसे तो योग अध्यात्म का विषय है किन्तु इस समय योग विज्ञान के विकास की मुख्य धारा स्वास्थ्य-विज्ञान की दिशा में पहुंच गयी है। मनुष्य की शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक तथा बौद्धिक अवस्था को स्वास्थ्य कहते हैं। आधुनिक समय में होने वाले अधिकांश रोग मनुष्य तथा उसके पर्यावरण के बीच तालमेल (सामंजस्य) न बन पाने के कारण ही उत्पन्न होते हैं। योगाभ्यास मनुष्य के मनोदैहिक व्यवस्था में तालमेल की क्षमता प्रदान करके उसे तमाम रोगों से बचाता है।


‘योग’ कोई धार्मिक प्रवृत्ति या क्रिया नहीं है। यह वैज्ञानिक साधना पद्धति है। जिसका उद्देश्य मानव का सर्वांगीण विकास है। यह अपने आप में एक गहन दर्शन तथा व्यापक विज्ञान है और इसकी साधना अनुपम कला है। इसके बहुआयामी उद्देश्य हैं। इसलिए इसकी साधना-पद्धति भी बहुआयामी है। भगवद्गीता में ज्ञान कर्म और भक्ति मार्ग से योग-साधना की अवधारणा प्रस्तुत की गयी है।


पतंजलि योगदर्शन में अष्टांग योग साधना का बहुत व्यापक वर्णन है। अष्टांग योग के सभी आठ अंगों का यथा सम्भव समुचित अभ्यास ही सम्यक योग साधना है। अष्टांग योग के प्रथम दो अंग यम और नियम सद्वृत्ति साधना के विषय हैं। ये चित्त तथा शरीर शुद्धि के माध्यम हैं और योगावस्था प्राप्त करने के महत्वपूर्ण मार्ग हैं।

आसन मुख्य रूप से शरीर की साधना है। पतंजलि ने आसन के विषय में लिखा है- ‘स्थिर सुखमासनम्’ अर्थात् आसन उसे कहते हैं, जो साधक के लिए सुखदायी और स्थिरता प्रदान करने वाला हो।

योगाभ्यास स्त्री और पुरुष दोनों लोगों के लिए हैं, परन्तु स्त्रियों को ऋतुकाल तथा गर्भावस्था में योगाभ्यास बंद कर देना चाहिए अथवा केवल चिकित्सक के परामर्श से योग का अभ्यास करें।


बच्चों को 12 वर्ष की आयु के पूर्व शुभंगासन, अर्धशलभासन, धनुरासन, हलासन, पश्चिमोत्तासन तथा योगमुद्रा करनी चाहिए। 12 वर्ष के बाद अन्य और आसन कराये जायें। योगाभ्यास के लिए स्वच्छ, शांत तथा हवादार स्थान आवश्यक है। यौगिक चिकित्सा में आहार-विहार का विशेष महत्व है। योगाभ्यासी को आहार-विहार के नियंत्रण का पालन करना चाहिए। योग शास्त्र में कम भोजन की महत्ता को बल दिया गया है। अस्वस्थ और बीमार लोगों को चिकित्सक के परामर्श बिना योगाभ्यास नहीं करना चाहिए।


अधिकांश रोगों का इलाज ‘योग’ से सम्भव है। योग मानव जाति के उत्थान के लिए है। इससे रोग दूर होते हैं, लेकिन जो निरोगी व्यक्ति योग का अभ्यास करता है, वे तो बीमार नहीं होते।

ऑक्सीजन की कमी क्यों? क्या हवा में सांस लेने योग्य ऑक्सीजन नहीं, जानें विस्तार से.....

कोरोना की दूसरी लहर ने हमारी सभी तैयारियों की कलाई खोलकर रख दी है। अस्पतालों में बेड और दवा तो दूर, मरीजों को ऑक्सीजन भी नहीं मिल रही। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि सरकार 50 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन खरीदने के लिए दुनिया के बाजार में खड़ी है। ऐसे में लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हम सब हवा में सांस लेते हैं और वह हमारे चारों ओर मौजूद है...तो क्यों नहीं हम इस हवा को सिलेंडरों में भरकर मरीजों को लगा देते? आखिर अस्पतालों में पाइप से आने वाली ऑक्सीजन यानी मेडिकल ऑक्सीजन है क्या? यह बनती कैसे है? और क्यों इसकी कमी है?





तो आइये जानते हैं ऐसे सभी सवालों के जवाब...


प्र. मेडिकल ऑक्सीजन क्या है?

कानूनी रूप से यह एक आवश्यक दवा है जो 2015 में जारी देश की अति आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है। इसे हेल्थकेयर के तीन लेवल- प्राइमरी, सेकेंडरी और टर्शीयरी​ के लिए आवश्यक करार दिया गया है। यह WHO की भी आवश्यक दवाओं की लिस्ट में शामिल है।

प्रोडक्ट लेवल पर मेडिकल ऑक्सीजन का मतलब 98% तक शुद्ध ऑक्सीजन होता है, जिसमें नमी, धूल या दूसरी गैस जैसी अशुद्धि न हों।


प्र. हमारे चारों ओर हवा है और हम उसमें ही सांस लेते हैं, ऐसे में उसे ही हम सिलेंडरों में क्यों नहीं भर लेते?

हमारे चारों ओर मौजूद हवा में मात्र 21% ऑक्सीजन होती है। मेडिकल इमरजेंसी में उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसलिए मेडिकल ऑक्सीजन को खास वैज्ञानिक तरीके से बड़े-बड़े प्लांट में तैयार किया जाता है। वह भी लिक्विड ऑक्सीजन।


प्र. मेडिकल ऑक्सीजन कैसे बनाई जाती है?

मेडिकल ऑक्सीजन बनाने के तरीके को समझने के लिए पहले कुछ बातों को जानना जरूरी है...


बॉयलिंग पॉइंट


जिस तरह पानी को 0 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करने पर वह जमकर बर्फ या ठोस बन जाता है और 100 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने पर उबलकर भाप यानी गैस में बदल जाता है, ठीक ऐसे ही हमारे आसपास मौजूद ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि इसलिए गैस हैं क्योंकि वह बेहद कम तापमान पर उबलकर गैस बन चुकी हैं।

ऑक्सीजन -183 डिग्री सेल्सियस पर ही उबलकर गैस में बदल जाती है।

यानी पानी का बॉयलिंग पॉइंट 100 डिग्री सेल्सियस है तो ऑक्सीजन का -183 डिग्री सेल्सियस।

दूसरे शब्दों में कहें तो अगर हम ऑक्सीजन को -183 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा ठंडा कर दें तो वह लिक्विड में बदल जाएगी।



अब बात मेडिकल ऑक्सीजन बनाने के तरीके की...


मेडिकल ऑक्सीजन हमारे चारों ओर मौजूद हवा में से शुद्ध ऑक्सीजन को अलग करके बनाई जाती है।

हमारे आसपास मौजूद हवा में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन और बाकी 1% आर्गन, हीलियम, नियोन, क्रिप्टोन, जीनोन जैसी गैस होती हैं।

इन सभी गैसों का बॉयलिंग पॉइंट बेहद कम, लेकिन अलग-अलग होता है।

अगर हम हवा को जमा करके उसे ठंडा करते जाएं तो -108 डिग्री पर जीनोन गैस लिक्विड में बदल जाएगी। ऐसे में हम उसे हवा से अलग कर सकते हैं।

ठीक इसी तरह -153.2 डिग्री पर क्रिप्टोन, -183 ऑक्सीजन और अन्य गैस बारी-बारी से तरल बनती जाएंगी और उन्हें हम अलग-अलग करके लिक्विड फॉर्म में जमा कर लेते हैं।

वायु से गैसों को अलग करने की इस टेक्नीक को हम क्रायोजेनिक टेक्निक फॉर सेपरेशन ऑफ एयर कहते हैं।


इस तरह से तैयार तरल ऑक्सीजन  99.5% तक शुद्ध होती है।

यह पूरी प्रक्रिया बेहद ज्यादा प्रेशर में पूरी की जाती है ताकि गैसों का बॉयलिंग पॉइंट बढ़ जाए। यानी बहुत ज्यादा ठंडा किए बिना ही गैस लिक्विड में बदल जाए।

इस प्रक्रिया से पहले हवा को ठंडा करके उसमें से नमी और फिल्टर के जरिए धूल, तेल और अन्य अशुद्धियों को अलग कर लिया जाता है।



प्र. ऑक्सीजन अस्पतालों तक पहुंचती कैसे है?


मैनुफैक्चरर्स इस लिक्विड ऑक्सीजन को बड़े-बड़े टैंकरों में स्टोर करते हैं। यहां से बेहद ठंडे रहने वाले क्रायोजेनिक टैंकरों से डिस्ट्रीब्यूटर तक भेजते हैं।

डिस्ट्रीब्यूटर इसका प्रेशर कम करके गैस के रूप में अलग-अलग तरह के सिलेंडर में इसे भरते हैं।

यही सिलेंडर सीधे अस्पतालों में या इससे छोटे सप्लायरों तक पहुंचाए जाते हैं।

कुछ बड़े अस्पतालों में अपने छोटे-छोटे ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट हैं।


प्र. अगर हवा से ऑक्सीजन बनती है और इसे सिलेंडरों से मरीजों तक पहुंचाया जा सकता है तो उसकी कमी क्यों है?

  • केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि कोरोना महामारी से पहले भारत में रोज मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 1000-1200 मीट्रिक टन थी, यह 15 अप्रैल तक बढ़कर 4,795 मीट्रिक टन हो गई।
  • ऑल इंडिया इंडस्ट्रियल गैसेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (AIIGMA) के अनुसार 12 अप्रैल तक देश में मेडिकल यूज के लिए रोज 3,842 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई हो रही थी।
  • तेजी से बढ़ी मांग के चलते ऑक्सीजन की सप्लाई में भारी दिक्कत हो रही है।
  • पूरे देश में प्लांट से लिक्विड ऑक्सीजन को डिस्ट्रीब्यूटर तक पहुंचाने के लिए केवल 1200 से 1500 क्राइजोनिक टैंकर उपलब्ध हैं।
  • यह महामारी की दूसरी लहर से पहले तक के लिए तो पर्याप्त थे, मगर अब 2 लाख मरीज रोज सामने आने से टैंकर कम पड़ रहे हैं।
  • डिस्ट्रीब्यूटर के स्तर पर भी लिक्विड ऑक्सीजन को गैस में बदल कर सिलेंडरों में भरने के लिए भी खाली सिलेंडरों की कमी है।

प्र. किसी इंसान को कितनी ऑक्सीजन की जरूरत होती है?

एक वयस्क जब वह कोई काम नहीं कर रहा होता तो उसे सांस लेने के लिए हर मिनट 7 से 8 लीटर हवा की जरूरत होती है। यानी रोज करीब 11,000 लीटर हवा। सांस के जरिए फेफड़ों में जाने वाली हवा में 20% ऑक्सीजन होती है, जबकि छोड़ी जाने वाली सांस में 15% रहती है। यानी सांस के जरिए भीतर जाने वाली हवा का मात्र 5% का इस्तेमाल होता है। यही 5% ऑक्सीजन है जो कार्बन डाइऑक्साइड में बदलती है। यानी एक इंसान को 24 घंटे में करीब 550 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन की जरूरत होती है। मेहनत का काम करने या वर्जिश करने पर ज्यादा ऑक्सीजन चाहिए होती है।


प्र. स्वस्थ इंसान एक मिनट में कितनी बार सांस लेता है?

एक स्वस्थ वयस्क एक मिनट में 12 से 20 बार सांस लेता है। हर मिनट 12 से कम या 20 से ज्यादा बार सांस लेना किसी परेशानी की निशानी है।


Thursday, April 8, 2021

जब मंजिले टूटने लगे, हौसले डगमगा जाए, तब एक बार जरूर पढ़े 👏






अक्सर जीवन में असहजता उत्पन्न हो जाती है, प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ऐसी घडियां आती हैं जब अपमान होने से, आर्थिक स्थिति खराब होने से, बीमारी बढ़ जाने से, गृह क्लेश से, व्यापार में घाटा हो जाने से । संतान की असफलता से या अकस्मात, अकारण किसी आघात की विपरीत स्थिति से व्यक्ति के मस्तिष्क में एक अजीब सी निराशा का जन्म हो जाता है। उसके मन में तनाव के कारण विनाशकारी तत्व उत्पन्न हो जाते हैं। जो व्यक्ति के हौसले को तोड़ने लगते हैं। 

फिर, मन में बुरे विचार आने लगते हैं कि अब कुछ नहीं हो सकता, मैं कुछ नहीं कर सकता। मेरा कोई वजूद नहीं, मेरा कोई अपना नहीं है। जब आपका बुरा समय आता है कोई साथी साथ नहीं देता, पैसा पास नहीं रहता है, और अगर है भी तो निष्प्रयोज्य लगता है, और मन टूटने लगता है।


सबके जीवन में हैं चुनौतियां, मुश्किलें


ऐसी कठिन स्थिति व्यक्तिगत ही नहीं संस्थागत या संगठन के सामने भी आ जाती हैं। लेकिन ऐसे समय में अपना ही नहीं बल्कि, पूरे दल का मनोबल बनाए रखना होता है। ऐसे समय में आगे बढ़कर नेतृत्व करना ही व्यक्ति का कर्तव्य होता है। तनाव के अंधेरों में लोगों को डूबने न दें, हर स्थिति में उनकी हिम्मत बनाए रखें।


जिस नेल्सन ने नेपोलियन को वाटर लू में हराया था, वह व्यक्ति वाटर लू के युद्घ से पहले एक और देश पर चढ़ाई करने गया था। पानी के जहाजों को किनारे पर लगाया और नियम के मुताबिक सबसे पहले सेनापति धरती पर उतरा, लेकिन जैसे ही सेनापति ने पहला कदम रखा वह ठोकर खाकर गिर पड़ा। सैनिक एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। इशारा करने लगे कि यह तो शगुन ही बिगड़ गया। अब तो हमारी हार निश्चित है। सेनापति ने यह दृश्य देखा तो जहाज से सब सैनिकों को नीचे उतारा और पंक्ति में खड़ा किया।

नेल्सन ने अपनी सेना को संबोधित करते हुए कहा - ‘‘देखो मित्रो! परमात्मा हमारे साथ है और उसका आशीर्वाद हमें आते ही मिल गया। उसका संकेत यह है कि इस देश की भूमि, भगवान ने आते ही हमारे हाथों में दे दी। इसलिए मैंने आते ही गिरकर दोनों हाथों से जमीन थामी है। इसका मतलब हम ही जीतेंगे और ये जमीन हमारी ही होने वाली है।’’

यह कह चुकने के बाद उसने सोचा कि हो सकता है कुछ लोग गद्दारी या कायरता मन में ले आए हों। इसलिए उसने तोपों से अपने जहाज उड़ा दिये। उसने फिर कहा, ‘‘मित्रों! अब पीछे हटने का मार्ग नष्ट हो चुका है। मेरा विश्वास है तथा प्रभु का आशीर्वाद है जीत हमारी ही होगी। प्रभु का ही आदेश है कि जमीन को थाम ले, जल्दी से इसलिए उन्होंने धरती मुझे इस प्रकार जोर से पकड़वाई।’’ कहने को ये सिर्फ शब्द थे पर शायद इन्हीं शब्दों का प्रभाव था कि कमजोर पड़ रहे सैनिकों की शक्ति दस गुनी हो गई और उनकी जीत हुई।

इस कहानी का अर्थ यह है कि मानव जीवन में कई अवसर ऐसे आते हैं जब निराशा घेर लेती है। सभी स्थितियां विपरीत नजर आती हैं। ऐसी स्थिति में स्वयं का, अपने परिवार का तथा अपने दल का हौसला बढ़ाए, धैर्य धारण करें। आपकी सफलता निश्चित है।


धैर्य से काम लें.....

कहा भी गया है, "लहरें आती हैं तो आए, हम भी पत्थर बन सामना कर लेंगे"। यहां जड़ पत्थर से अभिप्राय है, उस कठोर तपस्या और धैर्य का समागम जो ऊंची लहरों को भी झेल ले। ईश्वर हमको रगड़ता है और परखता है। इसलिए फौजी भाइयों में एक वाक्य बड़ा प्रचलित है, "जितना रगड़ा उतना तगड़ा"

 अतः सब्र रखें परिस्थितियां अवश्य बदलेंगी, क्योंकि परिवर्तन समाज का नियम है और हम उसी समाज का हिस्सा हैं।


Monday, March 22, 2021

होली पर सीएम योगी का एक और बड़ा तोहफा: प्रदेश के सबसे बड़े चिड़ियाघर का 27 मार्च को होगा उद्घाटन

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 27 मार्च को नेपाल, पूर्वांचल और बिहार के लोगों को बड़ा तोहफा देने वाले हैं। सीएम योगी प्रदेश के सबसे बड़े शहीद अशफाकउल्लाह खां (चिड़िया घर) प्राणि उद्यान का लोकार्पण 27 मार्च को कर सकते हैं। इसके लिए जिला प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दीं है। इसके बाद यह आमजन के लिए खोल दिया जाएगा।


गोरखपुर में दशकों से चिड़िया घर को लेकर लोगों में आस थी। लोगों का यह सपना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब पूरा कर दिया है। 121 एकड़ में फैले चिड़िया घर का लोकार्पण कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के सपने को साकार करेंगे। मुख्यमंत्री का पूरा प्रयास गोरखपुर में चल रहे विकास कार्यों को शीघ्र पूरा कराने को लेकर भी है। उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में योगीराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह और संस्कृति केंद्र था, जिसका लोकार्पण वह बीते रविवार को कर चुके हैं। वहीं, चिड़ियाघर भी उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। इसके खुलने के बाद नेपाल, बिहार और पूर्वांचल की नई पीढ़ी को इन पशु पक्षियों के बारे में बेहतर जानकारी मिलेगी, तो उनके लिए यह ज्ञानार्जन का बड़ा केंद्र भी होगा। गोरखपुर से मात्र सौ किमी की दूरी पर नेपाल और करीब सौ किमी के बाद ही बिहार राज्य की सीमा भी शुरू हो जाती है। नेपाल और बिहार से हजारों लोग गोरखपुर विभिन्न कारणों से आते हैं। अब तक 133 में से 115 वन्यजीवों को चिड़ियाघर में लाया जा चुका है। प्राणि उद्यान के निदेशक राजाराम मोहन का कहना है कि उद्यान का निर्माण तीन सौ करोड़ की लागत से 121 एकड़ में किया गया है। यहां पर सारी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं। अब इसके उद्घाटन की तैयारी पूरी की जा रही है।

बाघ, तेंदुआ और साही, घड़ियाल का देखिए नजारा
लखनऊ से एक मादा बाघ, एक मादा तेंदुआ, एक मादा साही, घड़ियाल, पुनर्वास केंद्र लखनऊ से नौ कछुए (टर्टल), विनोद वन से दो नर चीतल (स्पाटेड डियर), जंगल वैट (नर-मादा), दो सियार (नर-मादा), दो रसेल वाइपर सांप (नर-मादा), दो अजगर (नर-मादा), लखनऊ प्राणि उद्यान से दो घड़ियाल (नर-मादा), दो पाढा (नर-मादा), दो लंगूर (नर-मादा), छह मगरमच्छ (नर-मादा), दो रीसस मकाक (नर-मादा), दो लकड़बग्घा चमेली और अर्जुन, एक दरियाई घोड़ा लक्ष्मी, दो तेंदुआ मोनी और नारद, दो घोड़ा पछाड़ सांप और दो अजगर, कानपुर प्राणि उद्यान से एक दरियाई घोड़ा और 25 पक्षी, विनोद वन से मोर, तोता और विभिन्न प्रजाति की मछलियों के अलावा बंदर की दो प्रजाति सहित अन्य वन्यजीवों को यहां लाया जा चुका है। बाहर से आए सभी वन्यजीवों को सुरक्षा के मद्देनजर क्वरांटीन भी किया जा चुका है।

Friday, March 19, 2021

नया फ़ोन launch: भारत का 108MP वाला फ़ोन बाज़ार में जल्द उपलब्ध होगा

Redmi Note 10 Pro फ्लैगशिप फोन को Redmi Note 10 और Redmi Note 10 Pro के साथ लॉन्च किया गया था.  

Note 10 Pro Max की खास बात ये है कि इसमें 108MP का प्राइमरी कैमरा दिया गया है और ये 108MP कैमरा वाला भारत का फिलहाल सबसे सस्ता फोन है.
ऑफर्स की बात करें तो ऐमेजॉन और शाओमी की आधिकारिक वेबसाइट पर ग्राहकों को ICICI बैंक क्रेडिट कार्ड्स और EMI ट्रांजैक्शन्स पर 1,500 रुपये का इंस्टैंट डिस्काउंट मिलेगा. वहीं, शाओमी की वेबसाइट पर MobiKwik से पे करने पर 600 रुपये का कैशबैक भी मिलेगा और जियो की ओर से 349 रुपये वाले प्लान के साथ 10,000 रुपये की वैल्यू के बेनिफिट्स भी दिए जाएंगे.

डुअल-सिम (नैनो) सपोर्ट वाला ये फोन एंड्रॉयड 11 बेस्ड MIUI 12 पर चलता है और इसमें 120Hz रिफ्रेश रेट और 1,200 nits पीक ब्राइनटनेस के साथ 6.67-इंच फुल-HD+ सुपर AMOLED डिस्प्ले दिया गया है. साथ ही यहां गोरिल्ला ग्लास 5 का सपोर्ट भी मिलेगा. 

इस स्मार्टफोन में 8GB तक  LPDDR4x रैम और Adreno 618 GPU के साथ ऑक्टा-कोर क्वॉलकॉम स्नैपड्रैगन 732G प्रोसेसर मौजूद है.





फोटोग्राफी के लिए इसके रियर में 108MP प्राइमरी कैमरा, 5MP मैक्रो कैमरा, 8MP अल्ट्रा-वाइड एंगल कैमरा और 2MP डेप्थ सेंसर मौजूद है. सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए इसमें 16MP का कैमरा दिया गया है.

Redmi Note 10 Pro Max की बैटरी 5,020mAh की है और इसमें 33W फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट भी ग्राहकों को मिलेगा. साथ ही इसमें Hi-Res सपोर्ट के साथ स्टीरियो स्पीकर्स भी दिए गए हैं. इसकी इंटरनल मेमोरी 128GB तक की है और इसे कार्ड की मदद से 512GB तक बढ़ाया जा सकता है.

Tuesday, January 12, 2021

लफ्ज़ निकले हैं, गौर फरमाइएगा 😌

ए जिन्दगी, अब ज़रा थोड़ा सा तो ठहर,
जिन लहरों से सामना करने आए थे हम यहां,
 लगता है अब उनसे लड़ते लड़ते थे हमारी उम्र इस तरह गोते लगते हुए भी थोड़ी आगे निकल गई है।









जब सामने उनको देखा, तब उनमें ख़ुद को पाया,
जब नज़रे उनसे हटी, तो ख़ुद को खोया पाया,
घर पहुंचे तो थोड़ा गुनगुनाया, पर फ़िर पुन: अपने सुर को खोया पाया,
क्या करे !!! शायद यह भी ईश्वर की कोई माया जिसने हमको उनसे भेंट कराया।


- स्वरचित
#अतुल दूबे सूर्य

Thursday, January 7, 2021

महाभारत कथा में क्या इस तरह के हथियारों से लैस थे वीर योद्धा??

महाभारत के मिसाइलों की वास्तविक छवि 

यह ब्रिटिश म्यूजियम में रखे गए है ।। 3500BC के बताए जाते है,तो तकरीबन महाभारत काल का समय है । वास्तव में ऐसे हथियारो से युद्ध नही लड़ा जा सकता ।

यह मिसाइल आदि का प्रतिरूप बनाया गया था, पूर्वज भी तो चाहते थे, की आने वाली पीढ़ी तक इतिहास को किसी भी माध्यम से पहुंचाया जाए ।




क्या महाभारत के इसी प्रकार के हथियार थे ?

यह प्राचीन शस्त्र है । इनकी बनावट देखकर ही पता चल जाता है, यह हाथ से चलने वाले नही, बल्कि मशीनी यंत्र है ।। पहला चित्र कम्बोडिया का है, दूसरा चित्र पार्थियन म्यूजियम की एक गदा का । पार्थियन साम्राज्य अर्थात पार्थ अर्जुन का साम्राज्य ।। रोमन अवशेषो के म्यूजियम में यह गदा पड़ी है । यह गदा 3000 वर्ष बताई जाती है, जबकि वास्तव में यह उससे भी कहीं अधिक प्राचीन है । क्यो की 3000 वर्ष से ज़्यादा का इतिहास बताते ही यह फंस जाएंगे, तो यह सब कुछ 3000 साल के अंदर ही रखना चाहते है ।।

इस गदा को आप देखें । इस गदा क्या युद्ध लड़ा जा सकता है ? एक आदमी की हत्या तो इस गदा से संभव है (वह भी मुश्किल से ) लेकिन महाभारत जैसा युद्ध, या सेनाओं का युद्ध ऐसी गदाओ से नही लड़ा जा सकता ।।

यह निश्चित रूप से महाभारतकाल की किसी मिसाइल का प्रतिरूप चित्र है ।। जैसी मिसाइल आदि हथियार थी, उसका लघु चित्र मूर्ति के माध्यम से बनाया गया । और वही मूर्ति अभी आप देख रहे है ।

इस बात के प्रमाण केवल तर्क है, क्यो की वास्तविक दस्तावेज तो किसी को मिलने से रहें।  आपकी बुद्धि ही इसका प्रमाण है ।




Best

शायरी

ऐसा था नहीं जैसा अब मैं बन गया हूं , चलते चलते एक जगह थम गया हूं  लोगों के विचार में फसा एक झमेला हूं मैं, तूझे लगता है कि मैं खुश हूं, पर म...