Saturday, July 18, 2020

आखिर क्यों फेल हो रही है कांग्रेस ? देश की राजनीति में क्यों मची है उथल पुथल

पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस पार्टी लोगों को प्रभावित करने और वोट पाने में लगातार असफल हो रही है। भारत की वर्तमान राजनीति में भाजपा का दबदबा कायम हो गया है। यह सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के कारण नहीं अपितु कांग्रेस नेतृत्व के असफल होने के कारण हुआ है।
कुछ तकनीकी खामियां कांग्रेस के जमाने की भाजपा ने पकड़ ली और सार्वजनिक कर दी, इस वजह से कांग्रेस के वोट कटने लगे। जो पार्टी किसी जमाने में सबसे पसंदीदा हुआ करती थी आज अपने संगठन में ही फूट का सामना कर रही है।
पिछले कुछ सालों में बहुत से कांग्रेसी नेता या कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो गए और यहां भी मलाई काट रहे हैं।
जिस पार्टी ने विकास के लिए कई कार्य शुरू किए जिनमें स्वर्ण जयंती रोजगार योजना, मनरेगा, सर्व शिक्षा अभियान, उदारीकरण, वैश्वीकरण, निजीकरण, सत्तत विकास, ढांचागत औद्योगिक विकास, चिकित्सा सुविधाओं आदि और अन्य सभी क्षेत्रों का विकास आरंभ किया उसे ही पूरी तरह भ्रष्ट पार्टी बता दिया गया।
कांग्रेस में परिवारवाद मुख्य कारण बना जिसे चिन्हित कर लोगों को भाजपा ने अपनी तरफ खींच लिया है।
हाल की घटनाओं में नज़र डालें तो पाएंगे कि ज्योरियादित्य सिंधिया या सचिन पायलट ने पार्टी में बगावत कर मन मुताबिक पद पाने के लिए विद्रोह कर दिया है। लेकिन, भाजपा का क्या ? थोड़े समय के लिए तो ठीक लेकिन वर्ष 2014 से 2020 तक के काल में अनेकों दल बदलू नेताओं को दोनों हाथों से स्वागत कर लेने वाली पार्टी सिर्फ चुनावी वोट बटोरने के लिए कुछ भी कर रही है।

भाजपा के शीर्ष नेता माने जाने वाले अमित शाह हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे लोगों ने वैश्विक स्तर पर भारत को प्रसिद्धि जरूर दिलायी है। लेकिन आंतरिक सुरक्षा और रोजगार समेत कई मुद्दों पर फेल होती दिख रही है। 
हाल के कुछ समय में चीन, और पाकिस्तान से भारत में घुसपैठ की गतिवधियां काफी बढ़ गई हैं और सीमा पार से आए आतंकवादी हमारी सैन्य सुरक्षा प्रणाली को ठेंगा दिखाते हुए, अंदर घुस सैनिकों की जान ले रहे हैं - यह बेहद चिंता का विषय है। चीन ने भी भारत से जमीनी विवाद पैदा कर अपने पारंपरिक रिश्ते तल्ख कर लिए हैं। नेपाल भी हमें आंख दिखाने लगा है - जिसमें वह भारत के कलापानी और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताने लगा है। यह सब किसी भी युक्ति से ठीक करना होगा।

कांग्रेस को चाहिए की वह अपने ढांचे में कुछ बदलाव करे, तभी भाजपा को कोई मजबूत प्रतिद्वंद्वी पुनः मिल सकेगा।
क्योंकि किसी भी देश में किसी विशेष दल का पूर्ण बहुमत उस देश को वामपंथी विचारधारा की तरफ खींच ले जाता है और कम्युनिस्ट सरकारों की तरह सत्ताधारी पार्टी अपनी मनमानी शुरू कर देती है।

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